SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 101
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गच्छना झघडा छे घणा, केटला लख हो ! तु जाणे ताँत बुद्धि सुधारो नाथजी, सो वातोनी हो ! एक मोटी वात. सु० १२ ढाळ १९ मी - आ वखतमां केवली के कोई अतिशय ज्ञानी नथी के प्रत्यक्ष सत्यासत्यनो निर्णय थई शके आधार तो आगमोनो छे ते बघा गच्छवाळा आगमो माने छे पछी पोतपोतानी अनुकूळताना पाठ आगळ करी झगडां करे ते ठीक नथी. मूळ तत्त्रबधानो एकज छे माटे पोताने गमे ते गुरुनी पासे धर्मकार्य साधन करे परन्तु नजीवी बाबतमां धर्मने नाम कर्मबन्ध करी अमूल्य मनुष्य जन्म हारी जावानुं नथी माटे शान्त चित्तथी धर्मकार्य साधन करो. जे झगडानी बाबत छे ते पछी आगला भवमां सीमंधर स्वामीने पुछी निर्णय करो. ज्योतिष निमित्त अधिकार. दोहरा. आगम आणा सिर वहे, माखे नहीं निमित; तप संयममां नित्य रमे, सरल स्वभावी शांत, भाषा समिति राखवा, राखवा संयम शोभ ( शोभा ) निमित्त न भाखे मुनिवरा, जिन शासनना थोभ. Jain Education International For Personal & Private Use Only २ www.jainelibrary.org
SR No.005581
Book TitleMajernamu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year
Total Pages144
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy