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(४३) जिनगुण अमृत गाते ॥ नवि० ॥ १४ ॥ ति प्रथम टुंक प्रतिमासंख्या ॥ ॥ ढाल सातमी ॥ लरतनृप नावशु ए ॥ ए देशी ॥
॥बीजी टुंक जुहारीयें ए, पावमीयं चढी जोय ॥ नमो गिरिराजने ए ॥ आंकणी ॥ पहेलां ते अद बुद देखीने ए, मुझ मन अचरिज होय ॥ नमो ॥ ॥१॥ तिहाथी बागल चालतां ए, देहरी एक निहाल ॥ नमो० ॥ तेह गमें जश् वंदीय ए, पासजी शांति कृपाल ॥ नमो ॥२॥ खोमीयार कुंमन। उपरे ए, कीधो प्रासाद उत्तंग ॥ नमो० ॥ संघवी प्रेमचंद लवजीयें ए, निजधन खरची उमंग ॥नणा३॥ गोंख सटावट कोरणी ए, उन्नत रचना जास ॥न ॥ ध्वज कलशें करी शोहतो ए, दीपे जेम कैलात ॥ न ॥४॥ तपगड नायक दिनमणि ए, विजयजिनें सूरिंद ॥ न० ॥ अहाणुं जिन परिवारशुं ए, थाप्या झपन जिणंद ॥ ॥ नमो० ॥५॥ संघवी प्रेमचंदें करयो ए, जिन मंदिर सुखकार ॥ नमो ॥ सर्वतोनद्र प्रासादां ए,
नवाणुं सार ॥ नमो० ॥६॥ शा हेमचंद लवजीयें
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