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शत्रुंजय र्तीथेमाला, रास, अने नारादिकनो संग्रह
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या पुस्तक
समस्त जैन भाइओने कार्तिक तथा चैत्री पूर्णिमादिक दिवसोमां तथा श्री शत्रुंजय यात्रा जती वखत अवश्य पासें राखवा योग्य जाणी तेनी तृतीयावृत्तिमां यथामति संशोधन करीने
प्रसिद्ध करनार,
श्रावक भीमसिंह माणेक
जैन पुस्तक वेचनार तथा प्रसिद्ध करनार शाकगली, मांडवी मुंबई ३,
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संवत् १९७९ चैत्री पुनम सने १९२३.
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SIMILI
धी न्यू लक्ष्मी प्रेस शाकगली, मांडवी मुंबई ३.
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