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(७६)
रे, मज मन हवो साल रे ॥ ना लेश्ने हं वत्यो रे, बांध्यो वमनी माल रे ॥ जुवो ॥४॥ कुंती नगरे हुँ गयो रे, चंदन लेवा काज रे॥ चंदन लेश पालो वल्यो रे, नवि देखुं हंसराज रे ॥ जु० ॥५॥ दैवसंयोगे उतस्यो रे, में दीग बंधव पाय रे॥आलमाल आंगे इयां रे, जीवे ने सही नाय रे॥ जु॥६॥हुं वली पाडो आवीयो रे, राखी थापण शेउ रे॥ चोर करी मुज जालीयो रे, गले घाली मुज वेप रे । जुन ॥७॥जिम तलारे राखीयो रे, पुप्फदंत लीधो साथ रे॥जिम हुं शहांकणे आवीयो रे, में परणी तुने हाथ रे॥ जु०॥७॥ पूर्व संबंध पूरी कह्यो रे, तेहवे श्राव्यो राय रे ॥ चित्रलेखा उठी उतावली रे, प्रणमे तातना पाय रे ॥ जुम् ॥ ए॥ नाम गम कुमरी कह्यां रे, जाणी पूरव वात रे॥ मनवम नांगो रायनो रे, एह कुंवर विख्यात रे ॥ जु॥ १० ॥ राय कहे तव शेउने रे, श्राणो श्हांकणे बांध रे ॥ खुंटी लीयो धन एहनुं रे, मारो एहने कांध रे॥ जु०॥ ११ ॥ कुंवर कहे राय सांजलो रे, महारे जे ए बंध रे॥ सुख कुःख महारे इण समां रे, सो केम हणीए कंध रे ॥जु०॥१५॥यतः॥ “गुण कीधे गुणही करे रे, ए ले
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