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________________ ( २३ ) वशे ॥ ६ ॥ सांजल तुं चित्रकार, राजाने हो पासे रहेजे टुकडो ॥ जिम घालुं गले माल, राजाने हो जाएं सहु मां वडो ॥ ७ ॥ सदु मनावी वात, कुमरी हो यावी पणे मंदिरे ॥ पढेरी सोल शृंगार, राजा हवे हो बहु व करे ॥ ८ ॥ मलीया घणा नरिंद, हंसावलि श्रावे हो कुमरी हरखशुं ॥ नरवाहन तिहां राय, कुमरी हो जाये कंतो निरखशुं ॥ ए ॥ वरमाला लेइ हाथ, जोतां हो चितारो नयणे निरखीयो ॥ माला घाली कंठ, राजा ने राणी हो मनमां दरखीयां ॥ १० ॥ नगरे दुई उत्साद, परणी हो हंसावलि राजा हेलमें ॥ जीमाड्या सहु राय, राजापे हो राणी बे पहुतां महेलमें ॥ ११ ॥ दीधा बहुला देश, दीधा हो राजाने दयवर हसता ॥ दीधा गयवर थाट, धवला हो ऐरावण सरिखा दीसता ॥ १२ ॥ दीघां दासी ने दास, दीधी हो राजाने सखरी यति घणी ॥ मागे शीख सनेह, चाव्या हो राजेसर आपणी मुंइ जणी ॥ १३ ॥ जले दिवसे जले वार, घ्याया हो राजेसर परणी नारीने ॥ घुरीया निशाणे घाव, खायो जो मंत्री श्वर काम समारीने ॥ १४ ॥ सर्व गाथा ॥ १०५ ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005393
Book TitleHansraj Vacchraj no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages114
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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