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(१००) माहोमांहे चिंता करे, उठ्यां सरशे काम ॥जो बेगं रहेश्यां हां, तो पमशे सही मान ॥२॥के राजा मारे सही, के कापे सह कान ॥ ग्रह पीमा सहने करे, बूटयां दीजे दान॥३॥एक कहे समरो सहु, जेहना जे ने देव ॥ तेहनी ते रदा करे, समस्यानी ने देव ॥४॥ शिर ढांकीने उठीया, भ्रूजन लाग्यां अंग ॥ पग पिंमी गोला चढ्या, मुम्मण नागे संघ ॥५॥ नासंता नागा हुआ, बूटण लागी लांग ॥ थरहर थरहर नीसख्या, जिणमां न हुतो वांक ॥६॥आगे पाठे नीकल्या, घर श्राव्या सहु शेठ ॥ पुत्र पिता बेग सहु, नीची घाली देठ (दृष्ट)॥७॥सर्व गाथा ॥२॥
॥ ढाल दशमी ॥ मेंदीना गीतनी देशी ॥ ॥ हंस नणे सुण नारी, वात कही हे सघली पाउली रे॥वछ कुमरनी वात, मामीने हे नाखो सुंदरि आगली रे॥२॥कहे कुमरी सुण राय, मुम्मण शेवे प्रवइण पूरीयां रे॥शुज लगने शुज वार, तिहांथी हे पोत सह हंकारीयां रे ॥२॥ तुज बंधव लीयो साथ, कनकावती नगरी पासे तिहां गया रे ॥ करियाणां उतास्यां उगम, राजाने मलवा पुष्पदंत तिहां गया रे ॥३॥ में दीगे वनराज, देखीने हे में तिहांकणे
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