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________________ ( ए० ) ॥ ७ ॥ तोड्यां बंधन तास रे, बोड्यो तत्क्षणे, श्रीहरिचंद महीपति ए ॥ उतारयो नरनाथ रे, बोल्या बूमनो, म म शंके तुं शुभमति ए ॥ ८ ॥ अनि कडाइ मांदे रे, सुण हो मानवी, होम करीश हुं ताहरो ए ॥ तुं बो लक्षण बत्रीश रे, वि श्वा वीश ए, कारज सिद्धकर माहरो ए ॥ ए ॥ तुं हवे तहारे हाथरे, कापी कापी करी, तन काढी दे आपण ए ॥ म करीश विलंब लगार रे, वार लागे घणी, आरंभ में मांड्यो घणु ए ॥ १० ॥ बु गदो दीघो हाथ रे, श्रीहरिचंदने काया काटे जूपती ए ॥ मनमां न आणे शंक रे, निकलंक स त्यवंतो, सबल साहस छत्रपती ए ॥ ११ ॥ का ट्यो दाहिए हाथरे, वामा हाथशुं मन प्रमोद अधिक धरी ॥ जंघ चरण पण दोय रे, का या आपणा, दे तेहने तिल तिल करी ए ॥१२॥ काटण लागो जाम रे, मस्तक त्र्यापणो, श्याल एक आव्यो तिसें ए ॥ रोवे सरले सादरे, दुःख जर जंबूको, तापस पण प्रगट्या इसें ए ॥ १३ ॥ For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International
SR No.005392
Book TitleHarichand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1897
Total Pages114
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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