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________________ (६) पाडो वख्यो रे, पटराणीनो साद ॥ रोहीताश्व मुठ सही रे, राय करे विषवाद ॥ कुम०॥ १७ ॥ है है कर्मगति माहरी रे, विषद विषाद विनाण॥ मुःख मांहें पुःख संपनां रे, दैव करे ते प्रमाण ॥ ॥ कुम ॥ १५ ॥ शुं रोवू शुं पारडं रे, किणगुं करुं रे पोकार ॥ कुण कुःख जाणे माहरु रे, जे रूठो किरतार ॥कुम॥२०॥ ढाल बही इणीपरें कही रे, विरही राग मलार ॥ कनकसुंदर कहे सांजलो रे, हवे आगे अधिकार ॥कुम ॥१॥ ॥ दोहा॥ ॥सुणी राजा पाडो चल्यो, तेणी वारें तत्काल॥ बालक एक बांध्यो अबे, वट तरुवरनी माल ॥ ॥१॥ दीठो महिपति वलवतो, मुख करतो पोकार ॥ रे रे मुजने मारशे, योगी रूठो अपार ॥॥को जायो तिथि चांजणी, को नर ने निरबी क॥पर उपकारी को पुरुष, डोडावो साहसिक॥२॥ ॥गाहा॥मुक्तिस्त्रीवशीकरणं,करणं परोपकारस्य॥ अनशन विधिनामरणं, स्मरणं च नगवता मस्ति। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005392
Book TitleHarichand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1897
Total Pages114
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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