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________________ ( 30 ) ॥ ढाल बीजी ॥ राग आशावरी सिंधु ॥ विषय न राचीए ॥ ए देशी ॥ || हवे तापस वली विया रे, काशी नगर मकार ॥ रूप रच्यो माकण तणो रे, मारे पुरुष श्र पारो रे ॥ १ ॥ कर्म न बूटीयें, कर्म विटंबण हारो रे ॥ कहो कीजें किस्युं, सुख दुःख होये संसारो रे ॥ कर्म० ॥ २ ॥ ए आंकणी ॥ तापस तेहिज पापीया रे, मारे लोक अांत ॥ हाहाकार हू घणो रे, लोक हुआ जयत्रांतो रे ॥ कर्म० ॥ ३ ॥ राजा पडद वजडावीयो रे, माकणी जाले जेह ॥ तव निश्चें हुं तेहने रे, मुह माग्यो धुं ते हो रे ॥ कर्म० ॥ ४ ॥ ते तापस माकणि विद्या रे, मंत्र तं त्र अबेद || वली छाया मंत्री कन्हे रे, मंत्र वादी हुआ तेहो रे ॥ कर्म ॥ ५ ॥ होम अगर मलयागिरि रे, बेठा करवा ध्यान ॥ रायें कह्यो आणी इहां रे, जे जग नोख नवीनो रे ॥ कर्म० ॥ ॥६॥ श्राँझी झाँ कुं मंत्रे जपे रे, श्रोत्तर सत्त Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005392
Book TitleHarichand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1897
Total Pages114
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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