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________________ (५०) खिण जागे खिण विलववे, खिण नाखे निश्वास॥ ॥ए॥चंकीधो चांजणो, राय थयो चलचित॥ मधुरखरे मन फुःख नरे, गावे विरही गीत॥१०॥ दिवसे तूटित तारका, ज्योती जागि असमान ॥ विरही जनके कारणें, चंद चलावत वाण ॥११॥ ॥ ढाल ॥ सातमी राग सारंग मल्हार ॥णे ____ अवसर तिहां बनो रे ॥ ए देशी ॥ सुण ससीहर एक वीनती रे लाल, तुमने कहूं कर जोडि रे॥ चंदलीया ॥ में वेची वर वा लही रे लाल, लागी सबली खोडि रे ॥१॥ ॥०॥ कहेने संदेशो मोरी नारिन रे लाल, तुं मुज प्राण आधार रे ॥ चं० ॥ क० ॥ तुं सहुने देखे सहि रे लाल, तुजने देखे संसार रे ॥२॥ ॥ चं० ॥ क० ॥ हुँ सबलो पापी ह रे लाल, कीधी घात विश्वास रे॥ चं॥ पुत्र सहित हाथ पारके रे लाल, वेची वेची नारि निराश रे॥३॥ ॥चं ॥ सुंदर सुरंगी मादरी रे लाल, माहरी जी वन जीव रे ॥ चं० ॥ रोतां कुण मुज राखशे रे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005392
Book TitleHarichand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1897
Total Pages114
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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