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( ४२ )
साहिब सत्य न गमाय ॥ मे० ॥ सत्य राख्यां स बहिं रहे रे हां, सत्य गयां सब जाय ॥ ८ ॥ मे०॥ इणि वाते लगा नही रे हां, में प्रभु तोरी दास ॥ मे० ॥ चिंता सब दूरे हरो रे हां, वालिम चित्त विमास ॥ ए ॥ मे० ॥ नीर जरुं लगा नही रे हां, रांधण ईंधण काम ॥ मे० ॥ वासीडुं पण करूं रेहां, शील न खंकु स्वामि ॥ १० ॥ ० ॥ जायी चंद्रसेनकी रेहां, जो राखुं व्रत शील ॥ मे० ॥ जे में कर तेरो बब्यो रेहां, एहिज टेक अहील ॥ ० ॥ ११ ॥ करवत वूही अंगमें रे हां, वचन सुणी हरिचंद ॥ मे० ॥ र उपाय कतु नही रेहां, श्रावी पड्यां दुःख दंद ॥ १२॥ मे० ॥ सत्य सुतारा तें कह्यो रेहां, वचन होवे ए सत्य ॥ मे० ॥ शुभ अशुभ नवि जाणीयें रेहां, दैव करे सो सत्य ॥ १३ ॥ मे० ॥ क्षणमांदे प रगट थयो रेहां, कालरनो कणकार ॥ मे० ॥ वाग्य तिहां ति देहरे रेहां, सूरज उगणहार ॥ १४ ॥ मे० ॥ चोथी ढाल कही इसी रेहां,
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