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दिन दश मारग चालतां, बायो नगर उदार ॥ काशी नामें परगडो, नव जोयण विस्तार ॥२॥ सुंदर मंदिर मालियां, एक थंना आवास ॥ देह रामां हरिचंद गयो, रयनि निशा निवास ॥३॥ पंथीडा देवल शरण, के सरवरकी पाल ॥ पंथी होवे दयामणा, जिम जिम पडे वयाल ॥४॥ राजा राणी रंग जरे, सुतां मंझपमांहीं ॥ ऊबकें राजा जागयो, उःख सत्यो मनमांहीं ॥५॥ पुःखको पालण दे सखी,जो निश्वास न हंत ॥ हीयडो वेडि तलाव ज्युं, फुटि दह दिशि जंत ॥६॥ निःपुरातन गहिनी, सो किम नावत रात ॥ चित्त नवल धन देखीने काखि फिरफिर जात ॥७॥ नींद न घडी एक नीपजे, कहीस मन कवणाह ॥ अधिक सनेही बहु झणी, वयर खटुं कत ज्यांह ॥ ७॥
॥ ढाल चोथी ॥ राग केदारो गोडी ॥ काम ____णी काया वीनवे रेहां ॥ ए देशी ॥ ॥ हवे राजा फुःख सालियो रे हां,रोवा लागो
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