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________________ (ए) जम्क्यो जुप ॥२५॥ दीगं मेघाडंबर बत्र, दीग चामर पुडवि पवित्र: जोजन नलीसजाइ जालि, जमवा बेग सोवन थालि ॥ २६ ॥ मोटा मोदक जव महमह्या, प्रीस्यां शाक सवि विष सम थयां; साव दूध अणघोल्यां घोल, लीधां चलु दोधां तंबोल ॥२७॥ सपरिवार पहिराव्यो जीम, करी नेट जग जाणे जिम; राज जमी जब पालो वले, जुट्यो नुवन मांहिं आफले ॥ ॥ २७ ॥ श्राव्यो मंत्रि बादु तव धरि, राउ बोलव्यो निज मंदरि; रा जाणे अमाझं राज, विमल आगे ते जे व्याज ॥ श्ए ॥ विमल मंत्रि वोलावी वत्यो, राम प्रधान अनेरो मल्यो; राउ कहे तुझे जे कडं बहु, ते में दृष्टे दी सहु ॥३०॥ मनस्युं अह्मे विमास्युं श्राज, ए जीवे तो जाये राज; कीजे कांश तिशो उपाय, वयरि वणिग विलय जिम जाय ॥ ३१ ॥ गुण नवि जाणे जे जेहना, श्रादर न करे ते तेहना; देखी काग कविजन श्म जणे, मेहेली झाख लीबोली Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005391
Book TitleVimal Mantri no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages180
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size10 MB
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