________________
( १ ) बाहिर गयो, जोइ थानक मांनि साथरी, बेठो मणि माणिक पाथरी ॥ ३ ॥ राउतणा राउत कार, यावी श्रम करे हथोर; मांगे वेजां मेहेले बाण, वार एकेकी चूके जाए ॥ ४ ॥ विमल बंकि चोले पडवमो, में प्रीब्यो राजतनो धमो; जीम कटकनुं जलं पराण, जिहां यावा राउत बे जाण ॥ ५ ॥ उपायो अति घणो अमर्ष, जीम जुपतिने कर सि हर्ष; परदल आगल रहसि राज, जीम जुपतीनां सरसे काज ॥ ६॥ तव राजा श्राव्य संचरी, सपरिवार रह्यो परवरी; नीम बाण मेले उद्धसी, चूके विमल मंत्रि रह्यो हंसी ॥ ७ ॥ हृतो नरोसो जाग्यो आज, मुरख हाथ, चमथुं वे राज, मुह मचको मरडे मुंब, जीम सहित ब्रे सघला जुंब ॥ ८ ॥ रह्यो हाट हतो जाणीयो, जीमे तव परख्यो वाणीयो; बाप ती कांई जाणो कला, उगे वणिगाव यां थका ॥ २ए ॥ बोले विमल वाणी, इसि घासे बांध्या प्राणीश्रा;
!!
Jain Educationa International For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org