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(५५) जेरि वजे, जनम लगे रलीधामणो; राजयोग तेणे गर, मंत्रि मुकुट मोटो हुसी, कश्को मोटो राय ५॥१॥
॥चौपाई॥ ___ खंग खंड मति ने निर्मली, जणतां गुणतां संपत वली, मुनि लावण्य समयची वाण, एटले त्रीजो खंग वखाण ॥ १ ॥ सर्व गाथा ॥ १६ ॥
॥ इति पंडित लावण्यसमय गणि कृते, श्री विमल मंत्रि प्रबंधे नवखेमे, कलीकाल वर्णने, उत्तमोत्तम गणधर, प्रजावक, पुरुष नामोच्चारे, नीनग लहीर वीर चरित्रे, विमल जन्माधिकारे, ॥ तृतीय खंड संपूर्णम् ॥
॥अथ खंग चोथो॥
॥ चोपा॥ दिन दिन वाधे विमल कुमार, थहनिस अंग विमल आचार; हरखे वली मा हुलावती,
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