SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (३६) परणाव्यो जब पोढो थयो, आतुं पोतुं खरची रह्यो ॥ ३० ॥ तालुं त्यां सुधी प्रीत रहे, ज्यां कुंची मारग नवि लहे; कुंची सरखी आणी वहु, घर नंगाणुं पाड्युं बहु ॥ ३५ ॥ रात दिवस नुपुर ढुंसी, सोनाने कोले पोसी; एणी परें की, घर- फेड, बेटे नीपायुं नीमेक ॥ ४० ॥ थाज अह्मारूं वडपण इस्युं, ए बेटो बोले डे किस्युं वलतुं बोले सामो खसे, जई बेटो अनेथो वसे ॥४१॥ वहुअरनां तव माग्यां पड्यां, मन चिंतव्या मनोरथ चड्या; सासू बेसे पडती पाट, वढु बेसे खुंखारी खाट ॥ ४२ ॥ तुझे जुर्म कलयुगनो व्याप, विस्वा अढारज वरते पाप; धरती दोढ वसो धर्म जाण, सत्य वली अध वसो वखाण ॥४३॥ साठ वरसना डोसा जेह, तरूणी कन्या परणे तेह; खत्री वेसे वाले गाय, म्लेच्छ वली मुकावे धाय ॥ ४४ ॥ न गणे घर मांटी कुण मात्र, नारि उजायें करवा जात्र; घरनां बालक मेब्दे बहार, चपलपणे हीडे सं. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005391
Book TitleVimal Mantri no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages180
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy