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(३०) वेद, सोल सोल एकेके नेद; सोल के उन्नू पाखंग, प्रगट्यां पृथ्वीमांहिं प्रचंड ॥ १४ ॥ खंग खमं मति निर्मली, श्रोता सांजलजो ए नली; विमल मंत्रिने रासे जाण, एटले बीजो खंग वखाण ॥ १५ ॥ सर्व गाथा ॥ ७ ॥ ॥ इति श्री विमल मंत्रि नव खंभे सकल झाति नाम प्रगटीकरणे अष्टादश वर्ण व्यवस्था षट दरिसनानिधानाधिकारे द्वितीय खंड संपूर्णम्॥
commer-1421ST
॥ अथ ॥ ॥ खंम ३ जो॥
॥ चौपाई॥ चोसठ सहस आठ लख होय, छापर वरस विमासी जोय; छापर पूरो पहोतो सही, श्री उरी जिन्नमाल तव थई ॥१॥ चोयो युग हवे
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