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(१५) ॥ वस्तु बंद तथा चोपाई॥ लडि थापि लखि थापि ज्ञाति श्रीश्रीमाल, नगर नाम श्रीमाल तव; रयणमाल अग्गर प्रसिको: सकल ज्ञाति श्रृंगार धुरि, अचल नाम श्रीमाल दीध; लहि जणे निर्धन नही, हुं तुह्म गोत्रज जेण; श्रीश्रीकार सुअप्पीआ, श्रीश्रीमाली तेण ॥१॥ खंग खंड मति डे निर्मली, जणतां गुणतां संपत वली; मुनी लावण्यसमयची वाण, एटले पहेलो खंग वखाण ॥२॥ सर्व गाथा ॥ ए६ ॥
इति श्री विमल मंत्रि मनोहर प्रगट प्रबंधे, नव खेमे सरस्वती वर्णन, लक्ष्मी चरित्र, कृत युग त्रेता प्रमाण, श्रीश्रीमाली झाति स्थापनाधिकारे प्रथम खंड संपूर्णम् ॥
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