SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 149
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१४० ) चवे, दीवो जिन दक्षिण कर उब; ढोर्बु आगल डाबे धूप, दहण चंदन ध्यान स्वरूप ॥ ६७॥ क्यारे कुसुम हाथथो खट्यु, अथवा जुमि साथे जई मट्यु: लागुं पाय कुसुम ते धर्यु, नानि हेठ सिर उपर कडें ॥६॥जे जे जंतु नीच श्रानडयां, कीमे खाधां खरड्यां सड्यां; रक्त धवल कणयर परिहरो, आखू फूल म कटका करो ॥ ६ए॥ स्यां फूल तुझे दूरे करो, जुगति मुगति कारण परिहरो; ए गकुर शिव पुर सारथी, तहारी पूजा साझ नथी ॥ ७० ॥ तिणे फल फूले पूजा करी, नीचतणे कुल ते अवतर; पामे फल पूजानां सोई, उत्तम कुल नावे नर जोई ॥ १ ॥ कलस धूपधाणे चिहुं पखे, जिनवर को लागे रखे; जिनवर पुजानो समुदाय, रखे किशुं मंदिर ववराय ॥ ७ ॥ देवालाने दिवे जई, घरनो दोवो म करे सह); धूप दही ले फल पकवान, कोरां टाली रांध्यां धान ॥ १३ ॥ ते सघलां थाये देवकां, जिन दृष्टी पड़ी शांविर थकां Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005391
Book TitleVimal Mantri no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages180
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy