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पूर्व प्रयोग ने गतिपरिणामे, बंधन बेद असंग ॥ समय एक ऊर्ध्व गति जेहनी, ते सिक प्रणमो रंग रे॥ ज० ॥ सि ॥ ७ ॥ निर्मल सिफशिलानी उपरे, 'जोयण एक लोगंत ॥सादिश्रनंत तिहां स्थिति जेहनी, ते सिक प्रणमो संत रे ॥ न ॥ सि०॥ ॥ जाणे पण न शके कही परगुण, प्राकृत तेम गुण जास ॥ उपमा विण नाणी जव. मांहे, ते सिफ दीयो उदास रे ॥ ज॥सि ॥ए। ज्योतिशुं ज्योति
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