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पिनः स्त्रपनपीठजावं गतः ॥ २ ॥ ॥ एम कला पछी स्नानपीठ सन्मुख कुसुमांजलि अर्पण करवी, तदनंतर स्नापनपीठ पखाली लूंबीने कुंकुमनो स्वस्तिक करवो, धूप उखेववो ने सर्व स्नात्रीयार्जना हाथने धूपावली थापवी, पठी कर्पूर लगावो, छाने एक नवकार कहीने स्नानपीठ उपर प्रतिमाजीनी स्थापना करवी, ते प्रतिमा प्रायः पंचतीर्थिक, थार्थपरकरसंयुक्त स्थापवी, तेना मुख यगल अक्ष
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