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श्रादेस ॥ कर जोमी सवि देवगप, लेय कलश श्रादेश पामीय ॥ अद्भुत रूप सरूप जुश्र, कवण एह उत्संगे सामिय ॥ इंज कहे जग तारणो, पारग श्रम परमेस ॥ नायक दायक धम्म निहि, करीए तसु अजिसेस ॥ ७ ॥
॥ ढाल आठमी॥ ॥ तीर्थकमलदल उदक जरीने, पुष्करसागर श्रावे ॥
ए देशी॥ ॥ प्रण कलश शुचि उदकनी
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