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सिंहासन सासय वसे ॥ तिहां श्रापीजी, शक्रे जिन खोले ग्रह्मा ॥ चौसहेजी, तिहां सुरपति यावी रह्या ॥
॥ त्रुटक ॥
॥ श्रावीया सुरपति सर्व नक्के, कलश श्रेणी बनाव ए ॥ सिद्धार्थ पमुद्दा तीर्थ औषधि, सर्व वस्तु अणाव ए ॥ च्पति तिहां दुकम कीनो, देव कोमाकोमीने ॥ जिन मऊनारथ नीर लावो, सवे सुर कर जोगीने ॥ ५ ॥
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