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धते, देव नायक गहगह्यो ॥१॥
॥ढाल ॥ ॥ तव सुरपतिजी, घंटानाद कराव ए ॥ सुरलोकेजी, घोषण एह देवराव ए ॥ नरदेनेजी, जिनवर जन्म हुॐ श्र॥ तसु नगतेजी, सुरपति मंदरगिरि गडे ॥
त्रुटक ॥ गति मंदर शिखर उपर, नवन जीवन जिन तणो ॥ जिन जन्म उत्सव करण कारण, श्रावजो सवि सुरगणो ॥ तुम शुरू समकि
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