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१५४ रस गरीयो ॥ दशमे पद्मसरोवर, दोगे वामादेवी मनोहर ॥ ए॥ खीरसमुज घरे श्रायो, मुज मन सयल सुहायो ॥ बंडी निज निज गम, श्राव्युं श्राव्युं अमर विमान ॥ १० ॥ पेखी पेखी रयणनी राशि, सग पण चढी आकाशि ॥ जलण जलंतो ए दरिकण, जागी वामादेवी तरिकण ॥ ११॥
॥ राग धन्याश्री ॥ ढाल ॥
॥ नवमे मासे आग्मे दिवसे, जायो जिनवर रायो जी ॥घर गूडी
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