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॥७॥ पिता माता घरे उत्सव अशेष, जिनशासन मंगल अति विशेष ॥ सुरपति देवादिक हर्ष संग, संयमश्रर्थी जनने उमंग॥6॥ शुन वेला लगने तीर्थनाथ, जनम्या इंसादिक हर्ष साथ ॥ सुख पाम्या त्रिजुवन सर्व जीव, वधार वधा यश् अतीव ॥ ए॥
॥ढाल पांचमी॥ ॥ श्रीशांति जिननो कलश कहीशु
प्रेम सागर पूर ॥ ए देशी ॥ ॥ श्रीतीर्थपतिनुं कलश मजान,
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