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________________ (१५) यापे कुमारिका हो लाल, तिलक करी मनरंग ॥सु०॥ शुकन० ॥ ३ ॥ मत्सयुगम दधि मृत्तिका हो लाल, पाणी मरे पाणीदार ॥ सु० ॥ धेनु सवछा धारणी हो लाल, सामां मल्यां ए सार ॥ सु० ॥ शुकन ॥४॥ खर श्वान मुर्गा कागमो हो लाल,सारस शांढ शीयाल ॥ सु॥ माबां ए फुःखने हरे हो लाल, आपे मंगलमाल ॥ सु० ॥ शुकन० ॥५॥ कुंज करेवा चीबरी हो लाल, हनुमंत ने हरणाय ॥ सु०॥ जमणां ए जयने करे हो लाल,आपद् उकरपाय ॥ सु॥ शुकना ॥६॥ अहि पण जमणो उतस्यो हो लाल, नकुल समो नीलचास ॥ सु ॥ तोरण बांधे सीममां दो लाल, गणेश जमणो आस ॥ सु॥ शुकन ॥७॥ जंगलवासी ए जीवमा हो लाल, वहू पूडे उमेद ॥ सु॥ नाजा सावज ए शुं कहे हो लाल, नाखे केहो नेद ॥ सु ॥शुकन० ॥ ॥ए शुकने उजम वसे हो लाल,वांऊणी जणे पुत्र ॥ सु०॥ विद्या मूर्खने आवड़े हो लाल, रांक लहे राजसूत्र ॥ सु०॥ शुकन ॥ ए॥ ससरो कहे वहू सांजलो हो लाख, मलशे तुम जरतार ॥ सु॥दावो नांगेगणिका तणो हो लाल, करशे तुम किरतार ॥ सु०॥ शुकना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005388
Book TitleLilavati Rani ane Sumtivilasno Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1920
Total Pages48
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size3 MB
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