SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 19
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१७) ॥दोहा॥ ॥ ते पण पाले श्राखडी, सांजल तु नूपाल ॥ध न्य पंखी ते बापडा, दोष तज्यो ततकाल ॥१॥ नृप पूजे कर जोडीने, चिडा चिडी अवतार ॥ किहां देशे हांथी मरी, मुजने कहो विचार ॥२॥ मुनि जांखे ते पंखीयो, तुज सुत होशे विचार ॥ चीडी जीव तुज पुत्रनी, थाशे निरुपम नार ॥३॥ श्म संशय नृप मन तणो, टाल्यो सदु मुर्णिद ॥ मनमांहे हर्षित थ यो, पारयो परमानंद ॥४॥ अश्व इत्यो राजा न पी, ते। तथी परधान । चतुरंग सेना ले करी, चा ब्यो बुद्धि निधान॥५॥पगे पगेघोडा तणे,श्रावी सेना त्यांह ॥ चरणे लागा श्रावीने, राजा बेगे ज्यांह॥६॥ ॥ ढाल बाठमी ॥ वीडीयानी देशी॥ ॥ सेना श्रीगुरु चरणे नमि, राय प्रणमी गुरु ता य रे॥श्राव्यो निजमंदिर हर्षशु, पुरलोक जणी सुख थाय रे ॥ सेना॥१॥ सुत वात कही राणी श्रा गो, हरषी मनमांहे विशेष रे॥प्रीतम मखिया सुख कपर्नु, वली पुत्रनूं सुख लहेश रे ॥ सेना ॥२॥ दो प.सत्रिनोजनना दाखव्या, गुरुमुख सांजलीया जेह ॥ राज सोकमांहे ते टासीया, शूरवीर नृपति गुण Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005387
Book TitleRatribhojan Pariharak Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1895
Total Pages66
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy