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________________ " ( ६ ) एटले* तपासीने त्याज स्थापनाचार्यनी सन्मुख - are बेसीने इरियावही पकिमना पछी काजो यथायोग्य स्थानके 'अणुजाह जस्सग्गो कहीने परववो परवव्यापीत्रण वार वोसिरे कहेवुं. पबी मूल स्थानके चावीने सौ साथे देव वांदे ने सकाय करे. " केलीएक खत पोसह लीधा गाउ पहिलेहा करवामां आवे छे तो तेनी विधि या प्रमाणेपमिलेहानी विधि. प्रथम इरियावही पकिमीने खमासमण द‍ इछा० पमिलेहण करूं ? इवं कही मुहपत्ति, कटासपुं, चरवलो तथा सघला वस्त्रनी एक साथ पूर्वे कला तेटला बोलथी मिलेह करे. पबी दंगासन जाची, पमिले ही+, काजोल, शुद्ध करी. त्यांज इरियाही पकिमीने विधिपूर्वक परठववो. अने काजामा सचित्त एकेंद्री नीकले तो गुरु पासे आलोयण लेवी. त्रस जीव नीकले तो यतना करवी. * + प्रथम पडिलेहण करनारे काजो लीघा अगाउ अहीं इरिया वही न पडिकमवा. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005385
Book TitlePaushadh Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages72
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Ritual, & Vidhi
File Size8 MB
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