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(५७) तणुं । तेमांहि मीन न मेष ॥ ४ ॥ बाब जरी फल फूलनी। माली लाव्यो एक ॥ तेहने देखीावतो। चरित्र करे सुविवेक ॥ ५॥
॥ ढाल ही॥ वींलीयानी देशी ॥ ॥ लाल लघु लाघवी कला करी। आंखमां घाले तेल रे ॥ लाल मुखें नीसासा मेलतो । नयणे करे जलरेल रे ॥१॥ लाल वाहाली लागे मुज माडली। जेम वाहाली मुज देह रे ॥ लाल रात दिवस मुज सांजरे । जेरुं अति घण नेह रे ॥ लाल वा ॥२॥ लाल संसारमा सगपण घणां । पण स्वारथीयां सब को रे ॥ लाल नरनारी सहु जाणजो। मात समो नही को रे ॥ लाल वा० ॥३॥ आर्या वृत्त म् ॥ जणणीए जम्मनूमि । पछिम निदा सुजासियं वयणं ॥ मण माणुकं । तिन्निवि गिरुयाई गिर श्राइं॥१॥ ढाल पूर्वली ॥ लाल जन्म नूमि मुज सांजरी आव्यो यौवन वेश रे ॥ लाल कुटंब यात्र करवाजणी।हुं श्राव्यो एणे देश रे॥ लाल वाणालाल कर जोडी माती नणे । एवउँ पुःख तुम कां रे ॥ लाल नालेरे पाडे रहे। चांपा मालण मुज मा रे॥ लाल वाणा॥ लाल वणजारा मुज ले गया। नान
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