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( ४२ ) ली । शरणाइ नफेरी वली ॥ २१ ॥ धप मप धोंधों मद्दल नाद । श्रालापे हुसेनी नाद ॥ को किल सरिखो जेहनो साद । रंज सरिसो करशे वाद ॥ १२॥ थेइ थेइ कार करती रमे । कांकरकां पगे रमऊम ऊमे ॥ परियच बांधी एक दिशि । तिहां राणी देखी उल्लसि ॥ २३ ॥ राजा मोज दिए अति इसी । राणी धन यापे मन खुसी ॥ २४ ॥ लाख सोनश्यानो व्यय करी । राजा मंदिर आव्यो फरी ॥ बीजे दिन पण वाडी मांहि । जमी करीने मन उत्साहि ||२५|| राजा नृत्य करावे प्रेम | लाख सोनश्या खरचे तेम ॥ एम दिन दिन तेंधिको रंग । राजा दान दिये जबरंग ||२६|| एक दिवस तिहां योगी एक । बेगे अलख कहि सुविवेक || अधिष्ठायक ए जिनवर तणो । रूपें रुडो रवियामणो ॥ २७ ॥ काने मुद्रा हीरे जमी । काठ ती परी पावमी ॥ सवा मए पढेरी गोदमी । हाथे सोवनी लाकडी ॥ २८ ॥ हेम कमंडल पाणी जरी | बांटे सजा ते नीरें जरी ॥ वाघांबर जूयें पाri | बेटो खासन निश्चल करी ॥ २५ ॥ राणी सहित राजा मन रंग । पाय नमे जोगीना चंग ॥ अवधूत नृपने दे आशीष | बावा लहेज्यो सबल जगीश
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