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________________ (७०) र ॥ चविहार पञ्चकु सही रे, जाव जीव विचार॥ वि०॥ दे ॥१२॥जे मुज एह शरीर में रे, श्रति व हज एकंत ॥ रतन करंमक जिम सही रे, जिहां कि णे प्रेम महंत ॥ वि० ॥ दे० ॥ १३॥ तेपण वोसिरावं सही रे, बेले श्वासोश्वास ॥ईम संलेषण श्रादरी रे, राजा मन उदास॥वि०॥ दे॥१४॥श्रालो वली पडिकमी रे, पाम्या चित्त समाधि॥ कालें काल करी हवे रे, पाम्या सुख अंगाध ॥ विदे॥१५॥सोहम कल्पें शोजतोरे,सूरियाज विमान॥सूरियान थया दे वता रे, सुख पाम्या असमान ॥ विण ॥ दे॥१६॥ ॥दोहा॥ ॥ तेवार पड़ी हवे देवता, सूरियाज इण नाम ॥ पांचें पर्याप्तें करी, थया पर्याप्ता जाम ॥१॥ श्राहा रने शरीर वली, इंडियने आण पाण ॥ तेम मन ना षा जाणीयें, ए पर्यापति जाण ॥२॥ हवे श्रीवीर जिणंदजी, गौतम प्रतें कहे एम ॥ सूरियाने शकि श्म लही, जिनवर धर्मशुं प्रेम ॥३॥ ॥ ढालगणचालीशमी।फुलणानी ॥रागमारुणी ॥ ॥आउखुं हवे केटबुं रे, पू गोयम स्वामि ॥ सूरियान देवता तणो, तव बोल्या प्रज्जु थाम॥१॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005382
Book TitlePardeshi Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1901
Total Pages82
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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