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गार॥रूप सुंदर अति शोजता जी, नल कुबेर अनुहार ॥ सा ॥२॥त्रण संघाडे करी संचख्या जी, मुनिवर महा गुणधार ॥ ईरियासमितिए चालता जी, षट् कायने हितकार ॥ सा ॥३॥ पाडे पाडे फिरतां थका जी,गोचरीए मुनिराय ॥ मुनिवर दोय तिहां श्रावीया जी, वसुदेवजीना घर मांय ॥ साग ॥४॥देवकी देखी राजी हुजी, नले पधास्या मुनिराय ॥ सात श्राउ पग साहमा जश् जी, लली लली लागे जी पाय ॥ सा० ॥५॥ हाथ जोमीने वंदन करे जी, तरण तारण मुनिराय ॥ दरिशण दीगं स्वामी तुम तणां जी, जव नवनां पुःख जाय ॥ सा० ॥६॥ आज नली रे जागी दिशा जी, धन्य दिवस माहरो श्राज ॥ मुनिवर श्रम घर श्रावीया जी, तरण तारण जहाज ॥ सा० ॥ ७॥ मुह माग्या पासा ढल्या जी, दूधडे वूग मेह ॥आज कृतारथ हुं थ जी, आणी घणो धरम सनेह ॥ सा० ॥ ॥ मोदक थाल नरी करीजी, वहोराव्या उलट नाव ॥ कृष्ण जिमण तणा लावीने जी, देवकी हर्षित थाय ॥ सा ॥ ए ॥ जाताने वली पोहोंचानीया जी, मुनिवर गया पोल बार ॥ थोमीसी वार हु जिसे जी,
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