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(२२) तीर रे ॥ गि० ॥ नंद यशोदाने घरे ॥ का॥ नाम धरावी आहीर रे ॥ गि ॥ ॥६॥ सोल वरस बानो वध्यो ॥ का० ॥ पड़ी उघड्यां तहारां नाग्य रे ॥ गि ॥ जल यमुनामें जाश्ने ॥ का ॥ तें नाथ्यो काली नाग रे ॥ गि०॥हुं॥७॥बालपणाना बोलमा ॥ का ॥ में एके न पूरी श्राश रे॥ गि॥ श्राशा विलूकी हुं रही ॥ का० ॥जारे मुश्सवा नव मास रे ॥ गि० ॥ हुँ ॥ ७ ॥ हलक न दीधो हालरो ॥का॥ पालणीए पोढाय रे॥गि ॥ हालरुया गावा तणी ॥ का ॥ माहरी होंश रही मन माय रे ॥ गि० ॥ हुं० ॥ ए ॥ जगमां मोहटी मोहनी ॥ का ॥ उदय थ माहरे श्राज रे ॥ गि० ॥ ते जीव जाणे माहरो ॥ का ॥ के जाणे जिनराज रे ॥ गि० ॥ हुं० ॥ १० ॥ आंगणीए न कर घमी ॥ का०॥ आंगलीए वलगाय रे ॥ गि ॥ साही साही ना मिल्यो ॥ काम् ॥ हुँ जाचण केम कराय रे ॥ गि०॥ हुं०॥ ११॥ कीधां याद आवे नहीं ॥का॥ में केश करम कठोर रे॥ गि० ॥ नवांतरे कीधां दशे ॥ का ॥में किहां पाप अघोर रे॥गि ॥ हुँ॥१२॥ के पंखीमाला त्रोमीया ॥ का ॥ के बाल विडो
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