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राज || कु०॥ तुं कुलदीपक सेहरो दो लाल, तुं सहुनो शिरताज || कु० || ३ || कु०॥ जो चाहे सुख मो न एसी हो लाल, वांबे मुज कल्याण || कु० ॥ तो वहेलो प्रावे इहां हो लाल, टाढां होय मुज प्राण ॥ कु० ॥४ ॥ ० ॥ कु० ॥ ज्ञाग्यवंत तुं दी करो हो लाल, विनय वंत गुणवंत || कु० ॥ मावित्रांने मूकीने दो लाल, बेगे जश्य निचिंत || कु० ॥ ॥ व० || कु० ॥ राज्य लघु में सांख्युं दो लाल, मोटपल्ली वेलाकुल ॥ || कु० ॥ मनमां रलियायत यइ हो लाल, जाग्य श्रयुं अनुकूल | कु० ॥ ६ ॥ ० ॥ कु० ॥ तुजनें शुं ल खियें घणुं दो लाल, तुं सहु बातें जाए || कु० ॥ थोडामां समजे घणुं हो लाल, धाव्या तणां क्खाए || कु० ॥ ७ ॥ व० ।। कुण् ॥ हैयुं जराणुं दरखशुं दो लाल, वांची सहु समाचार | कु० ॥ ततक्षण बूटी लोयणें दो लाल, आंसू केरी धार || कु० ॥ ८ ॥ व || कु० ॥ बाप जली दुःख में दियो हो लाल, हुं थयों पुत कपुत || कु० ॥ खाये दियहुं फोलीने हो लाल, माय तो जिम लूत || कु० ॥ ए ॥ व० ॥ कु० ॥ मंत्रीसर परधानने हो लाल, राय जलावी राज ॥ || कु० ॥ नारी चार निज सैन्यशुं दो लाल, चाल्यो
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