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॥ ढाल चोवीशमी । मोरा साहिब हो श्री
शीतलनाथ के ॥ ए देशी॥ एह चिंतवी हो ते मूकी संग्राम के, राक्षसपति पाव्यो तिहां। करी प्रणिपत हो नृपने तजी मान के, स्नेह सहित मलिया इहां ॥१॥ पुण्या हो अधि की संसार के, नत्तमचरित्र तुमारडी।मुज पुत्री हो अपवर अवतार के, विधियें तुज कारण घडी ॥२॥ जोरावर दो सुर असुर नरिंद के, नावि आगल को नहीं ॥ फोकटनो हो वहीये मन गर्व के,महारो नर्म नाग्यो सही॥३॥ तुं माहारी हो पुत्रीनो कंत के, थयो जमा माहरो ॥ तुज साथै हो माहरे हवे प्रीत के, रूडो वांबु ताहरो॥४॥मन केरी हो नागी सहु. नीति के, ससरो जमा बेहु मख्या ॥ मुज पुत्री हो सरिखो वर एह के, मुह माग्या पासा ढल्या ॥ ५ ॥ पुत्रीने हो जइ मलियो बाप के, बाप संघातें पुत्री मली ॥ हियडाशुं होनीडी हेत आणी के, पुत्रीनी प्रगी रली॥६॥ शिर धारी दो आणा लंकेश के, न त्तमचरित्र नरेशनी ॥ लंकानुं दो देने राज्य के, देश ललामण देशनी॥७॥ मोकलीयो हो राक्षसपति राय के, सहुने आणंद नपर्नु । एक दिवसे हो बेग
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