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तास कुमर रलियामणो, उत्तम चरित्र दयालो रे || १ | . ॥ वा ॥ रोसावीने नीकल्यो, जमतो जरुश्रज्ञ आयो रे ॥ प्रवहण बेसी चालियो, धरतो हर्ष सवायो रे ॥ २ ॥ वा० ॥ गिरिजलकांत समुइ विचें, तिहां कूपकजल जरियो रे || जलकारण मांदे गयो, बारी मां नतरियो रे || ३ || वा० || देवजुवन देखी करी, पेठो मांदी कुमारोरे ॥ लंकापति राक्षसतली, पुत्री - रति श्रवतारो रे ॥ ४ ॥ वा० ॥ निरुपम नाम मदा लसा, परणी बाहेर आयो रे || समुश्दत्त वाहण चढ्यो, जलविरा सहु दुःख पायो रे ॥ ५ ॥ वा० ॥ पंच रत्न सुप्रसादथी, जल भोजन सुख प्राप्यां रे ॥ पर नपगारी एदवो, सहुनां संकट काप्यां रे ॥ ६ ॥ ॥ वा० ॥ स्त्री धन देखी चित्त चल्युं, कुलमर्यादा बांडी रे || समुदत्त व्यवहारियें, नाख्यो जलधि न पाडी रे ॥ ७ ॥ वा० ॥ तिमिंगल तट जइ रह्यो, मै निक तास विदारयो रे । निकलीयो ते जीवतो, मा ही चित्त विचारयो रे ॥ ८ ॥ वा० ॥ ए कोइ नतम नर अबे, राख्यो तेहने पासें रे । एक दिन पुर जोवा जमी, श्राव्या मली नल्लासें रे |||||वा०|| पुत्री राय त्रिलोचना, साप डशी जीवाडी रे ॥ परणी तिदां सुख
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