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चिदानंदजी कृत पद. ॥ पद पाडत्रीशमुं॥ राग नैरव ॥ ॥ चालणां जरूर जाकू, ताकू कैसा सोवणां ॥ ॥ चा० ॥ ए आंकणी ॥ नया जब प्रातःकाल, मा ता धवरावे बाल ॥ जग जन करत हे, सकल मुख धोवां ॥ चा ॥ १ ॥ सुरनिके बंध लूटे, बूंवड नये अपूते ॥ ग्वाल बाल मिलकें,बिलोवत वलोवणां। चा० ॥२॥ तज परमाद जाग, तूंनी तेरे काजलाग ॥ चिदानंद साथ पाय, वृथा न आयु खोवणां॥३॥
॥पद उंगणचालीशमुं॥ राग नैरव ॥ ॥जाग अवलोक निज, शुद्धता स्वरूपकी ॥ जा ग ॥ ए बांकणी ॥ जामें सैंप रेख नाही, रंच पर पंच बांही ॥धारे नही ममता, सुगुण नवकूपकी॥ ॥ जा ॥ १ ॥ जाकी है अनंत ज्योत, कबहुं न मंद होत ॥ चार ज्ञान ताके सोत, उपमा अनूपकी॥ ॥ जा ॥ २ ॥ उलट पलट ध्रुव जान, सत्तामें बिराजमान. ॥ शोना नांहि कहि जात, चिदानंद नूपकी ॥॥ जा ॥३॥ इति पदं ॥
॥ पद चालीशमुं ॥ राग प्रनाती ॥ ॥ ऐसा ग्यान बिचारो प्रीतम, गुरुमुख शैली धा रीरे ॥ ऐ॥ ए आंकणी ॥ स्वामीकी शोना करे सा
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