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चिदानंदजी कृत पद. ६ए मिल तडुप नई ते, पलट कहे कोण वाणी ॥ अ० ॥ ३ ॥ खटमत मिल मातंग अंग लख, युक्ती बहुत वखाणी ॥ चिदानंद सरवंग विलोकी, तत्त्वा रथ त्यो ताणी ॥ अ० ॥ ४ ॥ इति पदं ॥
॥ पद त्रेवीशमं ॥ राग टोडी॥ ॥सोहं सोहं सोहं सोहं, सोहं सोहं रटना लगी री सो॥ए आंकणी॥ इंगला पिंगला सुखमना सा धके, अरुण प्रतिथी प्रेम पगी री॥ वंकनाल खट चक नेदके, दशमे हार गुन ज्योति जगी री॥सोहं॥ ॥ १ ॥ खुलत कपाट घाट निज पायो, जनम जरा नय नीति नगी री ॥ काच शकल दे चिंतामणि ले, कुमता कुटिलकू सहज उगी री॥ सोहं ॥ २ ॥ व्यापक सकल स्वरूप लख्यो श्म, जिम ननमें मग लहत खगी री॥ चिदानंद आनंद मूरति, निरख प्रेम जर बुद्धि थगीरी॥ सोहं ॥३॥ इति पदं ।
॥ यद चोवीशमुं ॥ राग टोडी ॥ ॥ अब लागी अब लागी अब लागी अब लागी, अब लागी अब लागी अब प्रीत सही री॥अब०॥ ए आंकगी॥ अंतर्गतकी बात अली सुन, मुखथी मोपें न जात कही री॥चंदचकोरकी उपमा इण समे,
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