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चिदानंदजी कृत पद. १ ए आंकणी ॥ पोन पोन पीन रटत बपैया, गरजत धन अति घोर ॥ वालम०॥१॥चम चम चम चम चमकत चपला, मोर करत मिल सोर॥वालम॥२॥ समग चली सरिता सायर मुख, जर गए जल चिटुं थोर ॥ वालम॥३॥ नठी अटारी रयण अंधारी, विरही करत ऊकजोल वालम ॥४॥ चिदा नंद प्रनु एक वार कह्यो, जाणो वार करोर ॥ वालम ॥५॥
॥ पद एकशमुं॥ राग बिहाग ॥ .॥पीया पीया पीया, बोल मत पीया पीया पीया। पी॥एयांकणी॥रे चातुक तुम शब्द सुणत मेरा, व्याकुल होत हे जीया ॥ फूटत नांहि कठिन अति घन सम, नितुर नया ए हीया।बो० ॥१॥एक शोक्य उःखदायी कंत जिने, कर कामण वस कीया ॥ दूजे बोल बोल खग पापी,तुं अधिका कुःख दीया ॥ बो॥ ॥॥ कर्ण प्रवेश नती होइ व्याकुल, विरहानल जल तिया ॥ चिदानंद प्रनु इन अवसर मिल, अधिक जगत जस लीया ॥ बो० ॥३॥ इति पदं॥ पद बाशसमुं॥अजित जिणंदा प्रीतडीए देशी ॥ ॥ परमातम पूरण कला, पूरण गुण हो पूरण
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