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( ४ )
चो रे घट माटी तणो, ऐसी आदमि देह ॥ विरास तां वार न लागशे, कांइ नहि रे संदेह ॥ चे० ॥ ३ ॥
थिरज ए संसार बे, जैसो संध्यावान ॥ मान अणी जल एहवो, जेहवो कुंजरकान || (जेवुं पिंपल पान) ॥ चे० ॥ ४ ॥ तीर्थे मत्यो जिम कारिमो, सगपण प रसंग ॥ जेसो सुहणो रातको, पंखी तरु संग ॥ चे० ॥ ५ ॥ मात पिता सुत बांधवा, घर महिला श्राय ॥ परजव जातां जीवने, कोइ नावे रे साथ ॥ चे० ॥ ॥ ६ ॥ माहारुं माहारुं करतो रहे, तहारुं नहिं रे ल गार ॥ कोण ताहारो तुं केहनो, जूवो हृदय विचार || ॥ ० ॥ ७ ॥ धंधो करि धन मेलीयुं, पोष्युं सय ल कुटुंब ॥ धंधा हिमांहें मरि गयो, बाहर दुइ नहिं बुंब ॥ चे० ॥ ८ ॥ काल याहेडी नित नमे, कर जाली कबा ॥ वनमृगला जिम जीवने, शर नाखे रे ता एए ॥ ० ॥ ए ॥ धर्म सखाइ ले चलो, जो संबल साथ ॥ यागलही यादर हुवे, एम कहे जगनाथ ॥ चे० ॥ १० ॥ राग वेंराडी जे सुणे, बीजी ढाल वखाए । मानसागर कवि एम कहे, सुख लहो निरवा ॥ ११ ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ दीधी मुनिवर देशना, देखी यायो दोड ॥ याग
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