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________________ (३७) यं. वचन कह्या में जारी ॥रा ॥४३॥ नेमीकमर तो कहे माताने, थे लीधों संयम नारो ॥ माता था पदा किणविध दुइ, वात करो विस्तारो॥रा०॥४३॥ थारा पिताने मणिरथें मास्यो, हुँ रात्रे निकली आई ॥ जनम थाहारो विचमाहे टूट, में मेली दी रणमा हि ॥ रा ॥ ४५ ॥ तीर नदीरे बेठी दूती, विमान विद्याधरनो आयो ॥ जलचर हाथीयें मुजने नबाली, हुँ गइ समोसरण मांडो ॥ रा० ॥ ४५ ॥ पिता था रो देवता दून, दरिसणे प्रनुजीने आयो॥ श्राझा मा गी संयम लीनो, नेट्या प्रचना पायो ॥रा॥ ४६ ॥ दोनु राजारो जगडो सुणियो, लडशे मांदोमांही ॥ घणा माणसरो मरणज होशे, इण कारण ढुं या॥ रा० ॥ ४७ ॥ नमीराजा ए वात सुणीने, चिंता फि कर मन आई ॥ नमीय कुमरतो कहे माताने, जाश्ने मिलगुंजाइ॥रा० ॥ ४ ॥तीक नही ले चंजसा ने, यो ने महारो ना ॥ नही विसवास डे र जचीयां ने, तिणे मिलगुं पहेलो जाय ॥रा० ॥ ४५ ॥ नमी कुमर पहेलो समजाइ,चंजसा कने जायो । सतीयां नजर पडी राजा रे, विनय करी सामो आयो ॥ रा० ॥ ५० ॥ बेकर जोडी राजा बोल्यो, महासतीयां कि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005370
Book TitleKanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages50
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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