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________________ (३५) जमें, दिनदिन चढतो होइ ॥ मात पिता बांधव वि बोहो, ते सुगजो सदु को ॥ राम् ॥ १६ ॥ जुगबा दुने मणिरथे मास्यो, विषयरसें लोनायो ॥ पाडो व लतां सा खाधो, चोथी नरकमें जायो ॥रा॥१॥ बेहु राजानो मरज दुवो, खबर दुइ नगरीमांहि ॥ मयणरेहा तो निकली नाती, तिगरी खबर न कांश ॥रा० ॥ १७ ॥ दोनुं राजारो कारज कीg, राज चं इजसाने दीयो ॥ किगने दोष न दीजें प्राणी, कर्म प्रापजे कीयो ॥ रा० ॥ १ए ॥ चंजसा तो राज्य करे , वरते चोथो आरो ॥ बाप तणो मन थोडो आवे, पण फुःख मातारो ॥ रा० ॥ २० ॥ नमी कुमर तो महोटो हुवो, बल दीण हूवो राजारो ॥ नमीकुमरने राज बेसाड्यो, सुख विलसे संसारो ॥ रा० ॥ २१ ॥ जुगबादु तो देवता दून, मयणरेहा संयम पाले ॥ चंजसाने नेमी नाइ, दोनुं राज रख वालें ॥ रा० ॥ २२ ॥ यात कर्म डे महा जोरावर, जीवमें फांटा पाडे ॥ चारुंने तो न्यारा कीधां, एक बहु कुःख देखाडे ॥रा ॥ २३ ॥ दोनुं राजा राज जोगवतां, अटवी हाथी पडियो ॥ वस्ति आपणी रा खण सारु, वाहिर करवा चडियो ॥ रा० २५ ॥ चं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005370
Book TitleKanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages50
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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