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________________ ( 96 ) एहनी एह गत जाण ॥राजषि को संदेह आयो। एहनी॥ए आंकणं॥१॥ अबला एहवं नाम धरावे, पण सबलाने समजावे रे॥हरि हर ब्रह्म पुरंदर देवा,ते पण दास कहावें ॥एहनी॥शापगले पगले नाम पल टावे,श्वास उसासें जूदी रे॥गरज पडे त्यारे घेजी थाये, काम सरे-जाये कूदी रे ॥एहनी॥३॥ जंघा चोरी मांस खवाडे,तोय न थाये तेहनी रे ॥ मुखनी मीठी दिलनी रे जून,कामिनीन थाये केहनीरे॥एहनी॥॥करणी एहनी कहीन जाये, कामण तणी गति न्यारी रे॥ गायुं एहनुं जे नर गाशे,तेहने शिवगति वारीरे।एहनी॥५॥ जो लागी तो सर्वे लूंटे,रूती राक्षस तोलें रे॥श्म जाणी ने अलगा रेहेजो,नदय रतन इम बोलेरे॥एहनी॥६॥ ॥ अथ स्त्रीवर्कीन शिखामण सवाय ॥ ॥ धर्म नणी जातां धरा, वचमांहे पाडे वाट ॥ लहिलीए सर्व लूंटीने,व्रतनी जे वहे उवाट ॥ बला हो,बदु बहु बोली बाल, जे अबता उपाये बाल, जे वाघण्थी विकराल,जे थापे मरण अकाल ॥ब०॥॥ संसारे सदु सरिखं नहीं,जोडे वसंतांजोय॥ एक वांको एक पाधरो,बोस्डीयें कांटा जिम होय ॥ब०॥॥ बला बला सङ को कहे,बीजी बला बलवंत ॥ एजेवी एके Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005368
Book TitleKayvanna Shethno Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages82
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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