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(४५) रे लाल, रतन अमूलक लीध रे ॥सो॥ ना० ॥ ॥ ७ ॥ हवे मांमी गादी पारखलो रे, मपरें मामी था स रे ॥ सो० ॥ नारी जिमाडे नाहने रे लाल, नवा निपाइ शाल दाल रे ॥ सो० ॥ ना० ॥ ॥ पहेला पीरस्यां नाजिनांजिने रे,लाडू तेहिज खंत रे॥सो॥ नीसरी\ तिण माहिथी रे लाल, लाल रतन जल कंत रे ॥सो० ॥ ना० ॥ ए॥ कहे नारी धन्य पीयु तुमें रे, धन लाव्या नालें सूल रे ॥सो०॥ चोर न देखे कुत्ता नसे रे लाल, अल्प नार बहु मूल रे ॥ सो० ॥ ना०॥ १० ॥ कयवन्नो कहे रे, सूजे क माइ बाप रे ॥सो० ॥ बीजो अदर न उच्चरे रे लाल, दुई पनी चुप चाप रे ॥ सो० ॥ ना० ॥११॥ नारी रतन देखाडीयां रे, रूडो मूल्य अमूल्य रे ॥सो॥ हरखें कयवन्नो कहे रे लाल, बोले मीठा बोल रे॥ ॥सोना॥१२॥नाग्य जागे जिहां तिहां नला रे,आपद संपद जोय रे ॥ सो० ॥ परमेसर पुस्य पा धरो रेलाल,वाल नवांको होय रे॥सो० ॥ ना०॥ ॥१३॥ खाये पीये वितसे हसे रे, दान दीये धन को डी रे ॥ सो० ॥ पति नगति पण बे जुडी रे लाल, सखरी सरखी जोडी रे ॥ सो० ॥ ना० ॥१४॥
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