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________________ (३ए) हीज संच ॥ सा० ॥ वढू ॥ २० ॥ ससनेही चारे जणी, रोती जरि नरि यांख ॥ सा० ॥ सासुगुं था वी घरें, रही नीशासा नाख । सा० ॥ वहू ॥१॥ यतः॥ सयणां एहिज पारिखं, फरी पावू जोवंत ॥ मुख हसतां नयणे मले, तन टाढक उपजंत ॥ १ ॥ नयणे जे साजन मले, ए नहीं जूले बेल ॥ प्रीत रीत पाले नही, माणस रूपें बेल ॥ २ ॥ पीयु पासें सूतां थकां,हेज नही लवलेश ॥ जैसो कंतो घर रह्यो, तैसो गयो विदेश ॥३॥ ढाल पूर्वती॥ पन्नरमी ढालें जयतसी, तेहिज मूलगो वेश ॥ सा० ॥ जैसा कंता घर रह्या, तैसा गया विदेश ॥ सा० ॥ वढू ॥२॥ . ॥दोहा॥ ॥ हवे कुलवंती सुंदरी, लइ श्रीफलने फूल ॥ . वरधन बेटो साथ लइ, गइ जोशी रे मूल ॥१॥ ॥ ढाल शोलमी ॥ सात सोपारी हाथ, पंमयो पूण धण गश्जी ॥ ए देशी ॥ . ॥ पूजे बेकर जोड,श्रीफल आगें मूकिनेंजी ॥ जों शी बालस बोड, जुवो प्रश्न एक माहरुंजी ॥१॥प तडोहा/जीजाति,लगन मांफ्यो मेष वृष सही जी। तंत पाडयो ततकाल, आदित्य सोम मंगल मुखेंजो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005368
Book TitleKayvanna Shethno Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages82
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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