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रे॥दा ॥ १४ ॥ तिण अवसर परदेशमें, धनपति सारथवाहो रे ॥ फेरे इम उद्घोषणा, नगरीमाहे उ बाहो रे ॥ दा० ॥ १५॥ धन खाटण जो मन दुवे, तो श्रावो मुज साथो रे ॥ वणिज नला परदेशमां, चडशे बदु धन हाथो रे ॥ दा० ॥ १६ ॥ कयवन्नो सुणी वातडी, मनमां हर खित दून रे ॥ समजी घरणी पण हवे,चालारो दीयो दूत रे ॥दा०१७॥ गुन गुं कने आयां साथमा,जयश्री बावीसाथी रे ॥ देवलमा सेज पाथरी, शाह बेगे तिण माथो रे ॥दागान॥ घरथी बाहिर बावीयो,एहीज पंथ न थाघो रे ॥ बार मी ढालें जयतसी,लखमीखाटण लागो रे॥दा॥१॥
॥दोहा॥ ॥ हवे कुलवंती कंतने, ऊनी कहे कर जोड ॥ थें सिधावो सिचकरो, पूरा थारा कोड ॥ १॥ ॥ ढाल तेरमी ॥राग मारु॥ नोजराजाना गीतनी॥ हाथीयां रे हलके थावे प्रादुणी रे ॥ ए देशी॥
॥ वहेली वलण करजो वालहा जी,मत रहेजो पर देश ॥ श्रावतां जातांशु घर मूकजो जी, कुशल खेम संदेश ॥वहे॥१॥ चोर चुगल बहु धूरत माणसांजी, मत करजो विश्वास ॥ खाणे पीणे खरच म सांकजो
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