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खूण संगें, सही खारो दुवे॥ कुरंग संगी चंद,कलंकी जन चवे ॥ १३॥ नट विट साथे कुमार, थाव्यो वे श्याघरें ॥ देवदत्ता तिहां देखी, आगत स्वागत करे ॥१५॥ नक्ति युक्ति हाव नाव, मुखें जीजी करे ॥ वे श्या धूतारी नारी, दीनां तन मन हरे ॥ १६ ॥ पाडे मृग ज्युं पास, बोले विकसी हसी ॥ म करो इणरो संग, चतुर कहे जयतसी ॥ १७ ॥.
॥दोहा॥ ॥ चंवदनी मृगलोयणी, रूपें गोरी रंन ॥ कय वन्नो नोगी नमर, देखो धरे अचंन ॥१॥..
॥ ढाल पांचमी॥ राग शोरठ मलार मिश्रं ॥ - चालरी वरीयां नहीं हो लाल, धणवारी
लाल चलण न देगुं ॥ ए देशी॥ ॥ कर जोडी वेश्या कहे हो लाल, हूँ थारे बलि हार हो ॥ कयवन्ना शाह, नले रे पधाखा बाज ॥ ढुं दासी बु ताहरी हो लाल, थें मुज प्राण आधार हो ॥ कय ॥१॥ ए मंदिर ए मालियां दो लाल, एह हिमोला खाट हो ॥कय॥ तन मन धन ए थां हरांहो लाल, हसो वसो गहगाट हो ॥ कय॥॥ हाव नाव वचनें करी हो लाल, चोरी लीयो तमु चि
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