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तेज मंत्र पूर्वक चंदनादिकं समर्पयामि स्वाहा, एम कहीने केसरनी पूजा करवी. पड़ी तेज मंत्रपूर्वक पुष्पं समर्पयामि स्वाहा, एम कहीने कणेरनां पुष्पो चमा. ववां. पड़ी तेज मंत्र पूर्वक वस्त्रं समर्पयामि स्वाहा, एम कहीने वस्त्र चमावq. पडी तेज मंत्रपूर्वक फलं सम. र्पयामि स्वाहा, एम कहीने बाद यादिक फलो चमावां, पनी तेज मंत्रपूर्वक दीपं समर्पयामि स्वाहा, एम कहीने दीपक करवो. पनी तेज मंत्रपूर्वक नैवेद्यं समर्पयामि स्वाहा, एम कहीने, गोलधाणीनो अथवा चुरमानो लामको चमाववो. पठी तेज मंत्रपूर्वक अक्षतादिकं समर्पयामि स्वाहा; एम कहीने, पान, चोखा, राती सोपारी, तथा अरधो पैसो चमाववो. पड़ी उपर लखेला मंत्रपूर्वक एकसोने आठ मंत्रथी प्रवालांनी नोकरवाली गणवी. पनी पुष्प, वास तथा चोखापाणीनी अंजली नरीने, त्रण वार जपमंत्र जणीने अर्ध्य देवू. पनी हाथ जोमीने नीचे प्रमाणे प्रार्थनानो श्लोक जणवो. पद्मप्रनजिनेंद्रस्य नामोच्चारणजास्कर ॥ शांति पुष्टिं च तुष्टिं च, रदां कुरु जयश्रियं ॥१॥
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