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(४१) रती नंग एक, मंगलदीवो नंग एक, सगमी अथवा रातुं कुंडं नंग एक, धूपधाणां नंग बे, खेरना, बावलना, रायणना, तथा पीपलाना कोलसा, पी. तलनी वाढी नंग बे, दिवा नंग त्रण, नानां सरावला नंग चार, मूलसहित माल, मरमासींगी नंग त्रण, आखा रुपाना सिक्का नंग अगीयार, ते अग्यार सिकाउँमाथी चार कलशमां, एक माटलीमां, ए. क त्रांबाकुंमीमां, एक पीउनीचे, बे ग्रह थने दिरपालनी स्थापनापर, एक कुंलमां, तथा एक मंगलदीवामां मुकवो, वलीत्रांबाना अधेला अथवा दाकमा नंग एकसो ने पांत्रीश, तेमांथी नंग दश दि
पालोपर, नव नंग ग्रहोपर, आठ नंग अष्टमंगलिकोपर, तथा एकसो ने आठ दरेक स्नात्री प्रत्ये मुकवानां जाणवां. एवी रीतें पान आदिकनी संख्या पण एकसो ने पांत्रीशनी जाणवी. मोटा पश्. सा नंग बे, तेमांथी एक पीठदेशे संपुट मध्ये, अने बीजो पीठ खुबनमां मुकवो, रुघु, सोनू, मोती, चुनी अने प्रवाला; एवी रीतें पंचरत्न, अवामानी
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